"ईद-उल-जुहा" मुसलमानो का प्रमुख त्यौहार है | इस त्यौहार को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है | इस त्यौहार को मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग बड़े ही धूम धाम से मनाते है | ईद-उल-जुहा के मोके पर मुस्लिम संप्रदाय के लोग अपनी अल्लाह के प्रति वफादारी दिखाने के लिए बकरे या अन्य जानवरो की कुर्बानी देते है और इस तरह इस त्यौहार को मनाया जाता जाता है |
बकरीद पर जानवरो की कुर्बानी क्यों दी जाती ?
इस त्यौहार के बारे मैं तो आप सभी लोग जानते ही होंगे इस दिन सुबह सुबह स्नान नए कपडे पहन कर सभी लोग एक जगह मस्जिद या अन्य जगह इकट्ठा होते है और सभी एक साथ मिलकर नमाज अदा करते है और आपस मैं एक दूसरे के गले लगते है | नमाज पूरी होने के बाद जानवरो की कुर्बानी दी जाती है मांस को तीन हिस्सों मैं बाँट देते है | एक हिस्सा अपने पास रखते है दूसरा हिस्सा अपने सगे सम्बन्धियों को देते है और तीसरा हिस्सा गरीबो को बाँट दिया जाता है | इस तरह ये त्यौहार पूरा होता है और सभी लोग मिलकर जश्न मनाते है लेकिन इस दिन ऐसा क्यों किया जाता है चलिए ये भी जान लेते है...
इस्लाम धर्म की धार्मिक पुस्तक "हदीस" के अनुसार ईद-उल-जुहा के मोके पर जानवरो की कुर्बानी को बहुत ही महत्पूर्ण स्थान दिया गया है | ये अल्लाह के प्रति मन मैं बसे प्रेम और लगाव को इजहार करने का एक तरीका है | जब जानवरो की कुर्बानी दी जाती है तब अल्लाह के प्रति सच्ची भावना और श्रद्धा रख कर ये सुनिश्चित किया जाता है की खुदा के लिए सब कुछ कुर्बान है और जो कुछ है वो खुदा ही है | इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य इंसान को सच्चाई की राह पर चलने के लिए सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार रहना चाहिए |